भारत भर में FPOs की संख्या बढ़ रही है और स्थानीय FPO सदस्यों की कौशल निर्माण पर गौर करने की आवश्यकता है। इस ब्लॉग में Reliance Foundation और SkillGreen Global के प्रयासों पर चर्चा की गयी है, जिनका उद्देश्य FPO कार्यशाला की पूर्णरूप से प्रशिक्षण और विकास करना है। एक ऐसा प्रशिक्षण PRADAN के केसला के प्रशिक्षण केंद्र में हुआ। प्रशिक्षण की रचना इस तरीक़े से की गयी जो सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा दें चर्चा के लिए अनुकूल हों और सरल हों ताकि शामिल लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
पिछले कुछ वर्षों में किसान उत्पादक संगठनों (FPO) का जिक्र लगातार बढ़ रहा है. कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं FPO बना रही है। आंकड़ों में बात करे तो मार्च 2023 तक कुल 30840 पंजीकृत एफपीओ है और ये आंकड़ें लगातार बढ़ ही रहे है। ये एफपीओ कम संसाधनों के साथ गठित किये गए है अर्थात 70% के पास 5 लाख रुपये से कम की पूंजी है। कुशल प्रबंधकीय टीम का अभाव अर्थात अच्छे सीईओ के न होने से व्यवसाय और संस्थागत दोनों स्तर पर प्रभाव पड़ रहा है। व्यावसायिक प्रभाव में मुख्यतः बाज़ारों तक पहुँचने में असमर्थता, वित्त तक अकुशल पहुंच और योजनाबद्ध कार्य न होना शामिल है वही सदस्यों में एफपीओ के प्रति कम विश्वास , ढीली शासन प्रणालियाँ और उससे संस्था का कमजोर होना जैसे संस्थागत प्रभाव है। गहराई से विचार करने पर स्पष्ट है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रबंधकीय प्रतिभा सबसे जरुरी है
एफपीओ लीड कार्यक्रम की रुपरेखा या डिज़ाइन
एफपीओ में शहरों से आने वाले व्यवसाय प्रबंधन में स्नातकोत्तर (MBA) युवाओं को सीईओ के पद पर रखने से वे कुछ ही समय तक सेवाएं देते थे परन्तु लंबे समय तक सेवाएं नहीं दे पाते थे। उनके पद छोड़ने के कई कारण थे परन्तु इस तरह के बदलाव से नवगठित एफपीओ के व्यवसाय में बहुत असर पड़ जाता था। अतः स्थानीय स्तर के लोगों की क्षमता वृद्धि के बारे में विचार किया गया क्योकि इनका क्षेत्र से जुड़ाव तो रहेगा ही साथ ही उन्हें एक आजीविका का साधन मिलेगा । रिलायंस फाउंडेशन ने एफपीओ लीड अंतर्गत एफपीओ में प्रबंधकीय भूमिका निभाने के लिए 'ग्रास रूट्स' प्रतिभा के कौशल उन्नयन के कार्यक्रम की रुपरेखा बनाई । "कार्यक्रम के डिज़ाइन" पर IRMA जैसे संस्थानों से परामर्श और सलाह ली गई है, साथ ही स्किलग्रीन को प्रशिक्षण देने के लिए जोड़ा गया क्योंकि कार्यक्रम से जुडी दोनों दोनों संस्थाओं का उद्देश्य इसे प्रशिक्षण तक सीमित करना नहीं था, वरन अन्य संस्थाओ के साथ जुड़कर इसे बढ़ाना है । इस का उद्देश्य युवाओं को तैयार करना है जिससे वे एफपीओ में अपनी कारगर भूमिका निभा सकें । काफी विचार विमर्श और अनुभवी व्यक्तियों और संस्थाओं र्शन लेकर इस कार्यक्रम की रुपरेखा को अंतिम रूप दिया गया । एक वर्ष के इस कार्यक्रम में पांच दिन के दो आवासीय प्रशिक्षण और तीन दिन का एक वर्चुअल या ऑनलाइन प्रशिक्षण होगा।किसी एफपीओ का एक्सपोज़र विजिट भी शामिल होगा साथ ही पूरे वर्षभर सतत मार्गदर्शन प्रदान किया जायेगा। कार्यक्रम का आधार स्थानीय भाषा में एक अनुभव मिश्रित प्रशिक्षण करना है जिससे एफपीओ में प्रबंधकीय भूमिकाओं को संभालने के लिए जमीनी स्तर के युवाओं में ज्ञान और कौशल को बढ़ाया जा सके।
कार्यक्रम की रुपरेखा तय होने के बाद प्रशिक्षण हेतु उम्मीदवारों का चयन एक महत्वपूर्ण और गंभीर प्रश्न था क्योंकिउन्ही पर समस्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का दारोमदार है। अतः तय किया गया कि प्रशिक्षण में स्थानीय लोगो को जो क्षेत्र में रहकर वहां काम करने के इच्छुक है उनको प्राथमिकता दी जाये। साथ ही कुछ अन्य मानदंड भी बनाये गए जैसे चयनित व्यक्ति का किसानों के साथ जुड़ाव हो ,या उन्होंने संभवतः किसानों के साथ औपचारिक तरीके से काम किया हो, कम से कम स्नातक हों और पत्रादि लिखने में सक्षंम हो आदि एवं महिला प्रतिभागियों को प्रधानता देने का विचार किया गया। चयन प्रक्रिया को सख्त रखा गया जिससे चयनित प्रतिभागी क्षमतावर्धन के बाद क्षेत्र में अपना योगदान देने के लिए दृढ़संकल्पित रहे।
इस प्रशिक्षण में रिलायंस फाउंडेशन का अनुदान है साथ हीसंस्थाओं से भी सहयोग राशि ली गई जिससे वे और स्वयं प्रतिभागी भी अपनी जवाबदारी को समझे।
एफपीओ को बनाने वाली पूरे भारत की संस्थाओं ने अपने प्रतिभागियों को नामांकित किया उसके बाद निर्धारित मानदंडों के अनुसार प्रथम चयन किया गया तत्पश्चात काउंसलिंग सेशन (परामर्श सत्र) के माध्यम से प्रतिभागियों को समझने का प्रयास किया गया और उस चर्चा के आधार पर अंतिम 25 प्रतिभागियों का चयन किया। ये प्रतिभागी उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक से है। इनमे 7 महिलाएं और 19 पुरुष है।
पांच दिवसीय सहज प्रशिक्षण
प्रथम प्रशिक्षण का आयोजन 11 से 15 दिसंबर तक किया गया। सीखने के लिए स्थान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसे ध्यान में रखते हुए केसला में प्रदान (PRADAN) के प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण आयोजित किया । पांच दिवसीय कार्यशाला में किसानों को सामूहिक कार्रवाई के लाभ, निर्देशक मंडल और सीईओ की विशिष्ट और साँझा भूमिकाएं, कृषि व्यवसाय चक्र, विपणन की मूल बातें, मूल्य श्रृंखला में एफपीओ के लिए व्यावसायिक अवसर, एफपीओ के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रमुख हितधारक, बिज़नेस मॉडल कैनवास आदि विभिन्न सत्र थे।
स्किल ग्रीन ग्लोबल के विशेषज्ञ माया और पार्थसारथी ने फैसिलिटेशन के आधार पर प्रशिक्षण दिया, मेरे लिए सहजकर्ता के रूप में इस कार्यक्रम से जुड़ने का पहला अनुभव था। इस प्रशिक्षण में किसी पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन का उपयोग नहीं किया गया और प्रत्येक प्रतिभागी से सीधे संवाद करने का प्रयास किया गया।
इस पद्धति में सहजकर्ता मुख्यतः सीखने की प्रक्रिया को आसान बनाता है और यह विधि सभी की भागीदारी सुनिश्चित करती है। वास्तव में संभावित सीईओ और निर्देशक मंडल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा इसलिए उन्हें आगामी चुनौतियों के लिए तैयार करने की जरूरत है। अतः प्रशिक्षण में ध्यान दिया गया कि सभी प्रतिभागी विषय और उसकी अवधारणा को समझे। इसके लिए विभिन्न खेलों , चर्चा सत्रों और प्रतिभागियों की आपस में समूह चर्चा से चुनौतियों का समाधान जैसे चरणों पर जोर दिया गया । चार्ट बनाकर दीवार पर चिपकाने से बार बार उनपर ध्यान जाता है और अनायास ही वे स्मरण में रहते है। इस बात का प्रशिक्षण में अधिकतम उपयोग किया गया। चार्ट लगाने से प्रशिक्षण कक्ष का स्वरुप ही बदल गया। यह प्रमुख चर्चाओं को याद करने का प्रभावशाली तरीका रहा।
प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण " वर्क बुक " थी इस कार्य पुस्तिका में सत्रों की अवधारणा के बारे में कुछ प्रश्न थे जिनके उत्तर प्रतिभागियों को लिखने थे। इस कार्य पुस्तिका को भरने का सहजकर्ता का विशेष आग्रह था। इस पुस्तिका में अंत में उत्तर भी दिए गए थे। इस पुस्तिका को भरने से प्रतिभागियों की विषय विशेष पर समझ गहरी हुई , वही इसका उद्देश्य भी था। प्रशिक्षण के दौरान वर्क बुक को जांचा भी गया और बेहतर लिखने वाले को पुरुस्कृत भी किया गया जिससे अन्य प्रतिभागी भी प्रेरणा ले और लिखे।
प्रशिक्षण में एक शाम का सत्र "फायरसाइड चैट" था। यह अनौपचारिक सत्र था। हर दिन प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से मुलाकात की, इस सत्र में वे एफपीओ के सीईओ, निर्देशक मंडल सदस्यों, वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञों, बाजार विशेषज्ञों आदि से मिले। पहले दिन प्रतिभागियों ने विषय विशेषज्ञ को सुना परन्तु ज्यादा सवाल नहीं पूछे, कुछ हिचकिचाहट थी कुछ पहले दिन की थकान थी । लेकिन बाद के दिनों में उन्होंने विशेषज्ञों के साथ कई व्यावहारिक मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा की। बाजार कैसे ढूंढे , पैसा कहाँ से कैसे मिलेगा, सदस्यों को कैसे समझाए , शेयरधारक कैसे बढ़ाये, मूल्य श्रंखला में कहाँ हस्तक्षेप करें आदि कई सवालों पर चर्चा की।
प्रशिक्षण का एक अन्य महत्वपूर्ण घटक एक्सपोज़र विजिट था। देखकर जल्दी और बेहतर सीखा जा सकता है और वो लम्बे समय तक याद भी रहता है इस आधार पर प्रतिभागियों को 2 अलग-अलग संस्थानों का दौरा करने का मौका मिला। एक एफपीओ था जहां वे सीईओ, निर्देशक मंडल और एफपीओ को बनाने वाले संगठन के वरिष्ठ सदस्यों सहित स्टाफ से मिले। सहजकर्ताओं की मदद से प्रतिभागियों ने उसी एफपीओ का बिजनेस मॉडल कैनवास तैयार किया। इस व्यावहारिक सत्र ने उन्हें एफपीओ से सीखने के साथ-साथ अवधारणा को समझने का अवसर दिया। एफपीओ केवल व्यवसाय पर कायम रह सकता है, इसलिए कमोडिटी की मूल्य श्रृंखला को समझना और यह सीखना महत्वपूर्ण है कि कहां और कैसे हस्तक्षेप करना है। एफपीओ सीईओ और निर्देशक मंडल ने अपने अनुभव और चुनौतियां साँझा कीं। कुल मिलाकर, यह आधे दिन का सत्र और उस प्रक्रिया पर प्रतिभागियों का अवलोकन उपयोगी रहा। अगले दिन उन्होंने पोल्ट्री सहकारी समिति का दौरा किया। यह भी एफपीओ की तरह लाभकारी इकाई है यहाँ दौरा करने से प्रतिभागियों को दोनों मॉडलों के मध्य के अंतर समझने में मदद मिली। महिलाओं की इस संस्था में शासन व्यवस्था और निर्देशक मंडल की भूमिका समझने का अवसर मिला। आत्मविश्वास से भरी आदिवासी महिला सदस्यों से मिलना और उनके व्यावसायिक कौशल की सराहना करना मुख्य सबक था।
अंतिम दिन प्रतिभागियों ने अपनी व्यावसायिक पिच तैयार कर साझा की जो प्रशिक्षण में एक और उपलब्धि थी। मंच पर खड़े होकर अपने एफपीओ के लिए अपने विचार साझा करना वास्तव में चुनौतीपूर्ण था और इससे उनमें आत्मविश्वास आया। अंतिम सत्र सीखने और चिंतन पर केंद्रित रहा।
यह पाँच दिवसीय प्रशिक्षण का अंतिम दिन था। परन्तु सीखने की वास्तविक यात्रा तो अब शुरू हुई है। इस यात्रा में उनका मार्गदर्शन करने के लिए आयोजक (रिलायंस फाउंडेशन और स्किलग्रीन ) टीम मौजूद है। अब आने वाले कुछ महीनों में प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण से प्राप्त जानकारी और कौशलों का उपयोग अपने क्षेत्र में करना होगा और अपने विचारों को अपनी कार्यपुस्तिका में लिखना होगा। उन्हें अपने क्षेत्र में दूसरे एफपीओ का दौरा करने, उनसे सिखने और विश्लेषण करने की भी आवश्यकता है और सीखे हुए विषय को एफपीओ में देखने और विश्लेषण करने की भी आवश्यकता है। यह गृह कार्य उन्हें व्यस्त रखेगा एवं वे इस प्रशिक्षण में सीखी गई अवधारणाओं पर काम करेंगे। आगामी सत्र नियम अनुपालन आदि पर आधारित होगा जो वर्चुअल होगा।
निरंतर मार्गदर्शन इस प्रशिक्षण का मुख्य आकर्षण है। प्रतिभागी उनके एफपीओ में रोजमर्रा में आने वाली समस्याओं पर चर्चा करते है, एक प्रतिभागी दूसरे को सुझाव देता है , वे आपस में प्रशिक्षण से जुड़े विभिन्न विषयों पर सहजकर्ता की उपस्थिति में चर्चा करते है , ये सारी बातें इस प्रशिक्षण को अद्वितीय बनाती है और सही अर्थों में इसे अन्य प्रशिक्षणों से अलग और बेहतर बनाती है। उम्मीद है इस गहनतम प्रशिक्षण के बाद जो प्रतिभागी तैयार होंगे वे अपने एफपीओ में ढृढ़ता से काम करेंगे और उसे व्यावसायिक रूप से बेहतर बनाएंगे।
भविष्य में हम इस प्रशिक्षण के प्रत्येक स्तर से जुडी प्रक्रिया और इससे होने वाली सीखों पर भी चर्चा करेंगे ।करेंगे ।
शुभा खड़के लिविंग फार्म इनकम (LFI) प्रोजेक्ट में एक प्रोग्राम और आउटरीच कंसलटेंट हैं।
पार्थसारथी टी स्किलग्रीन ग्लोबल के सीईओ है।
आशुतोष देशपांडे रिलायंस फाउंडेशन में वैल्यू चेन श्रेणी के प्रमुख हैं।
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