रेत के बवंडर और उनके बीच चलती महिलाओं की बैठक, जहाँ महिलाएं घूँघट में बड़े आत्मविश्वास के साथ अपनी खेती और उससे जुडी चुनौतियों पर बात करती है । ये विशेष दृश्य पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले के पाटोदी ब्लॉक का है, जहाँ जय भीम महिला किसान संगठन की सदस्य अपनी बैठकों में खेती और आजीविका के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करती है । वर्त्तमान में जहाँ महिला किसान खेती में अपनी पहचान के लिए प्रयासरत है वही पश्चिमी राजस्थान में अनुसूचित जाति और जनजाति की महिला किसानों का संगठन निश्चित ही सराहनीय पहल है ।
पश्चिमी राजस्थान में आज भी महिलाएं घूँघट करती है, और जब घूँघट में कोई महिला अपने संगठन के बारे में , उसके कार्यों के बारे में बात करती है तो उनके आत्म विश्वास को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है । पर इस तरह संगठन बनाना इतना आसान भी नहीं था । उनकी ये यात्रा निश्चित ही प्रेरणादायक है ।
महिला किसानों के योगदान को पहचान देता ‘उन्नति’ का संगठन
इस यात्रा की शुरुआत ‘उन्नति विकास शिक्षण संगठन’ के सामुदायिक विकास कार्यों के साथ हुई । ‘उन्नति’ महिलाओं के साथ स्वास्थ्य , शिक्षा, आजीविका , प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन , सुशासन , महिला सशक्तिकरण आदि कई मुद्दों पर कार्य कर रही है । महिलाओं के साथ काम करते हुए संस्था ने अनुभव किया कि खेती में उन्नत तकनीक की जरुरत है, महिलाएं खेती में बराबरी से सहयोग कर रही है अतः संगठन के माध्यम से कई महिलाओं को एक साथ मार्गदर्शन प्रदान किया जा सकता है, रसायन मुक्त खेती की जानकारी दी जा सकती है । रासायनिक उर्वरकों के नुकसान से महिलाओं को अवगत कराया जा सकता है साथ ही कम संसाधनों में भी एक दूसरे की मदद हो सकती है ।
जय भीम महिला किसान संगठन का गठन और विकास
इसी उद्देश्य के साथ और खेती में महिला किसानो के योगदान को पहचान मिले इस हेतु से ‘उन्नति’ ने अपने कार्यक्षेत्र पश्चिमी राजस्थान में 2017 मेंजय भीम महिला किसान संगठन (जेबीएमकेएस)" केगठन में मदद की है । पाटोदी संकुल के 25 गाँवोंकी 700 औरसिणधरी संकुल के 25 गाँवोंकी 700 महिलाएँइस संगठन की सदस्य हैं। सभी 1400 महिलाकिसान अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाएं हैं। 100 रूपयेके सदस्यता शुल्क के साथ ये सभी महिलाएं इस संगठन की सदस्य है ।
‘उन्नति’ के प्रत्येक गांव में एक ग्राम स्तरीय संगठन है, जिसमे 18-30 महिलासदस्य है । इन सदस्यों में से २ सदस्यों को खेती साथण (कृषि सखी) के रूप में चुना जाता है । वे अन्य सदस्यों को सहयोग करती है और अपने समूह का प्रतिनिधित्व करती है । ये 2 खेती साथण ब्लॉक लेवल समिति में जाती है । इस तरह 25 गांवमें से 50 महिलाएंब्लॉक स्तरीय समिति में भाग लेती है । पाटोदी के 25 गांव की 50 महिलाएंऔर सिणधरी के 25 गांवकी 50 महिलाएंब्लॉक स्तरीय समिति में है । दोनों संकुल की ब्लॉक स्तरीय समितियां है और चुनी गई 50 खेतीसाथण अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं सचिव का चुनाव करती है । दोनों ब्लॉक स्तरीय समितियों में संगठन सम्बन्धी सभी निर्णय लिए जाते है । इन दोनों समितियों के बैंक खाते है जिसके माध्यम से पैसे का लेन देन होता है जैसे कृषि उपकरणों का किराया आदि उसमे ही जमा होता है ।
संगठन से सशक्त होती महिला किसान
संगठन को मजबूत करने हेतु ‘उन्नति’ ने संगठन को कृषि विश्वविद्यालय , कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि विभाग से जोड़ा। मिटटी की जाँच , बीज उपचार तथा तकनीकी जानकारी जैसे जैविक उर्वरक , जैविक कीटनाशक , कम्पोस्ट खाद आदि बनाना महिलाओं को सिखाया । कृषि विभाग की सहायता से मिनी किट, बीज खाद आदि उपलब्ध कराये । इसके साथ ही ‘उन्नति’ रसायन मुक्त जैविक खेती की पद्धतियों के बारे में जागरूक करने का सतत प्रयास कर रही है ।
‘उन्नति’ ने संगठन के कार्य को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से प्रत्येक 5 गांव में दो महिला मैनेजर को नियुक्त किया है । इनका काम खेती उत्पाद खरीदना , मार्केटिंग करना, महिलाओं को तैयार करना , विभिन्न सरकारी योजनाओ की जानकारी देना और आवेदन की प्रक्रिया पूर्ण करना आदि है । मैनेजर को काम के आधार पर मानदेय दिया जाता है जो लगभग 3000/- प्रतिमाह है ।
“बड़े उपकरण खरीदना हमारे लिए कठिन है ऐसे में संगठन की वजह से खेती के लिए जरुरी उपकरण हमें समय से मिल जाते है। हमारे परिवार को भी पता है कि हम संगठन से किराये पर उपकरण ला सकते है। यहाँ से हमें अच्छे बीज भी मिल जाते है जिससे उत्पादन अधिक होता है। इस से परिवार में भी हमारा सम्मान बढ़ा है।“- ममता देवी
ममता देवी की सास उन्नति से जुडी हुई थी अतः वे भी संगठन से जुडी । वे बताती है कि संगठन निरंतर प्रयास कर रहा है कि महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, उनको अपनी पहचान मिले और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से खेती में फायदा मिले । संगठन ने उन्हें उन्नत कृषि पद्धतियों के लिए भी सहयोग दिया है । उन्नति ने अनुदान सहायता के साथ संगठन को ट्रैक्टर, ट्रॉली, पानी के टैंकर और छोटे कृषि उपकरण प्रदान किए। संगठन के सदस्यों ने कुछ दरें तय कीं और इन उचित दरों पर ये उपकरण सदस्यों को किराये पर उपलब्ध कराये जाते है । इस से महिलाओं को जैविक खेती में सहयोग मिल रहा है।
उन्नति के पाटोदी कार्यालय में जय भीम महिला किसान संगठन के पाटोदी ब्लॉक स्तरीय समिति का भी कार्यालय है जहाँ संगठन के पास उपलब्ध विभिन्न कृषि उपकरण रखे जाते है । संगठन की वार्षिक बैठक में इन उपकरणों को किराये पर देने के लिए दरें निश्चित की जाती है ।
संगठन के पास दांतली , खुरपी , स्प्रे पम्प, कुदाल ,कटर मशीन ,कल्टीवेटर, झाल , क्रॉप हार्वेस्टर से लेकर पानी के टेंकर , ट्रेक्टर तक उपलब्ध है । इनकी किराया दर घंटे से लेकर एक दिन के हिसाब से है जो न्यूनतम 10 रूपयेसे 700 रूपयेतक है । इन उपकरणों की संख्या भी वर्त्तमान की मांग के अनुरूप है । खेती साथण के माध्यम से गांव से महिलाओं की मांग आती है । प्रत्येक गांव का हिसाब रखने की जवाबदारी मैनेजर की होती है।
कदम दर कदम बढ़ता संगठन का कारंवा
पिछले 5 सालों में उन्नति निरंतर प्रयास कर रही है कि संगठन मजबूत हो हालाँकि अभी भी संगठन अपनी शैशवास्था में ही है । संगठन के पास लगभग 5 लाख रूपये की राशि है। संगठन के सदस्य अपनी उपज को संगठन को ही बेचते है । संगठन अपने सदस्यों को 1 बीघा के लिए बीज के रूप में मूंग 2.5 किलो , मोठ 2.5 किलोऔर बाजरा 1 किलो उपलब्ध करता है । उत्पादन होने पर सदस्यों को दुगुना अनाज संगठन को लौटाना पड़ता है । अधिक उत्पादन बाजार भाव से संगठन को बेच सकते है । संगठन हर उपज की कीमत बाजार भाव से अधिक देने का प्रयास करता है । ये भाव संगठन की बैठक में सर्वसम्मति से तय किये जाते है । इस वर्ष संगठन ने 56 रूपयेप्रति किलो के हिसाब से सदस्यों से मोठ ख़रीदा है । उसे 60 रूपयेप्रति किलो के भाव से बाजार में बेच दिया । इस तरह प्रति किलो पर 4 रूपये का फायदा संगठन को मिला । इस वर्ष संगठन ने 748 किलोमोठ और 110 किलोबाजरा ख़रीदा । ज्यादा बरसात की वजह से इस वर्ष मूँग नहीं हुआ । इस तरह संगठन की आमदनी उपज बिक्री से होती है साथ ही खेती के उपकरण, ट्रेक्टर, पानी के टेंकर आदि के किराये से भी होती है । सिर्फ पानी के टेंकर से इस वर्ष संगठन ने 60000/- कमाए।
ये तो बस शुरुआत है विगत 5 वर्षों के प्रयासों से अब महिलाएं अपने निर्णय लेने में सक्षम हुई है। उनके परिवारों में भी उनकी अहमियत बढ़ी है।अब महिलाएं ‘उन्नति’ के मार्गदर्शन में किसान उत्पादक संघ में पंजीयन कराना चाहती है । संगठन के माध्यम से उपज की खरीद और बिक्री प्रारम्भ हो चुकी है । ये क्षेत्र सांगरी के लिए जाना जाता है । अतः महिलाएं संगठन के माध्यम से सांगरी को थोक में खरीदना चाहती है । जैविक खेती को बढ़ावा देना भी उनकी भविष्य की योजना में शामिल है ।
पश्चिमी राजस्थान के दुर्गम क्षेत्र में संगठन के माध्यम से महिलाएं एकजुट होकर सशक्त हुई है । छोटी छोटी जोतें, कम पानी, रेतीली जमीनऔर संसाधनों की कमी के परिदृश्य में महिलाओं का साथ में आना , खेती में एक दूसरे की सहायता करना , खेती के बेहतर तरीकों को सीखना और जैविक खेती की नई नई पद्धतियों को अपनाना , खेती में महिलाओं को मिलती पहचान का एक सुख दसंकेत है।
पश्चिमी राजस्थान की इन महिलाओं ने संगठन बना कर एक बहुत कठिन पड़ाव पार कर लिया है अब निश्चित ही वे आगे की चुनौतियों का भी दृढ़ता से सामना करने के लिए तैयार है। संगठन ने इन महिलाओं को स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने का प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है अतः संगठन के माध्यम से जैविक खेती के बारे में महिलाओं को जागरूक करना आसान है। जैविक खेती के प्रचार प्रसार में महिलाएं महती भूमिका निभा सकती है क्योकि वे अपने परिवार के स्वास्थ्य को ले कर सर्वाधिक सजग होती है। ऐसे में सरकार की जैविक खेती सम्बन्धी नीतियों को महिला संगठन के माध्यम से महिलाओं द्वारा क्रियान्वित किया जा सकता है ।इस दिशा में सरकार, संगठन और आमजन सभी के सम्मिलित और सक्रिय प्रयास अपेक्षित है।
शुभा खड़के लिविंग फार्म इनकम प्रोजेक्ट, इरमा (IRMA) में प्रोग्राम और आउटरीच कन्सल्टन्ट हैं।
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